What is Karma?

क्या है कर्म ?
कैसे काम करता है कर्म का सिद्धांत ?
What is Karma?
How does karma principle work?

जैसी करनी वैसी भरनी !
इस कहावत को कर्म की परिभाषा के रूप में देखा जा सकता है। जो अपने जीवन में जैसे कर्म करेगा, वैसे ही फल या परिणामों का सामना उसे अपने जीवन में करना होगा।हमारी कोशिश सार्थक कर्म करने की होनी चाहिए तो क्या सिर्फ आज का हमारा कर्म मायने रखता है या पहले किए हुए कर्मों का भी फल हमे मिलता है ,क्या हमे पूर्व जन्म में किए कर्मों का फल भी इस जीवन में मिलेगा , चलिए जानते हैं….

कर्म क्या है ?
गीता सार में कर्म की व्याख्या मिलती है, भगवान श्री कृष्ण के अनुसार कर्म वही है, जो मनुष्य की बुद्धि में जन्म लेता है। बुद्धि में विचारों का जन्म होता है, और मनुष्य विचारों को ही मानसिक और शारीरिक रूप से फलीभूत करता है। मतानुसार, विचारों का प्रत्यक्ष रूप में परिवर्तन ही ‘कर्म‘ है। लेकिन कर्म की व्याख्या यहीं तक सीमित नहीं है। कर्म के प्रकार भी होते हैं।

कर्म के प्रकार
मुख्य रूप से कर्मे तीन प्रकार के होते है संचित, प्रारब्ध और क्रियमाण….

1) संचित कर्म वह कर्म होते है जो इस जन्म में आप अपने अच्छे और बुरे कर्मों से संचित करते जाते हैं।, ऐसे कर्मों का फल कई वर्षों तक संचित रहता है और समय आने पर अच्छे और बुरे परिणाम देता है।संचित का अर्थ है एकत्रित ,संचय या इक्कठा किया हुआ।

2) प्रारब्ध कर्म वह कर्म है जो आपने अपने पूर्व जन्म में किए और उसका फल आपको उसी जन्म में नहीं मिल पाया तभी तो हमारा जन्म ,परिवार ,रूप रंग गुण सब प्रारब्ध कर्म ही निर्धारित करता है।प्रारब्ध को दूसरे शब्दों में भाग्य भी कहा जाता है।

3) क्रियमाण कर्म वह कर्म है जो वर्तमान में किया जा रहा है।यानी वर्तमान में होने वाले प्रत्येक पाप और पुण्य कर्मों को क्रियमाण कर्म कहते है।

अतएव जो हम क्रियमाण कर्म करते हैं वहीं संचित कर्म में जाकर जमा होता रहता है और उसी संचित कर्म का अंश प्रारब्ध कर्म (भाग्य)के रूप में हमें मिलता है। आपके हाथ में क्रियमाण कर्म मतलब वर्तमान में किए जाने का ही नियंत्रण है तो शुभ कर्म करते जाएं और अपना भविष्य सुनिश्चित करें।

वैदिक ज्योतिष और कर्म
वैदिक ज्योतिष को कर्म का लेखा-जोखा पढ़ने का एक उपयोगी शास्त्र माना गया है। पुरातन काल से वैदिक ज्योतिष का उपयोग कर्म और उसके फल का प्रकार जानने के लिए होता आया है। ऐसी कई वैदिक पद्धित है जिनसे इस जन्म और पूर्व जन्म के कर्मों का निष्कर्ष निकाला जा सकता है। साथ ही वैदिक ज्योतिष आपको जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुसार आने वाले समय का सही अनुमान लगाने और ग्रहों व दशा की व्याख्या करता है, जो जीवन के अनुकूल और प्रतिकूल चरणों का पूर्वानुमान लगाने में मदद करता है।


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